इस हिंदी आर्टिकल में हम समझेंगे कि टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (testosterone hormone) क्या है?
साथ ही ये भी जानेंगे कि व्यक्ति के लिए क्या रोल अदा करता है?
मगर पहले बताना चाहेंगे कि इसे एक सेक्स हार्मोन भी कहा जाता है।
टेस्टोस्टेरोन एक ऐसा हार्मोन है जो कामेच्छा के संतुलन को बनाये रखने में मदद करता है।
जिस इंसान के शरीर में इसका लेबल सही मात्रा में होता है।
उस व्यक्ति की कामेच्छा भी बढ़िया होती है।
महिलाओं के शरीर में इसका प्रोड्क्शन कम होता है।
जबकि पुरूषों में टेस्टोस्टेरोन का निर्माण अधिक होता है।
आप यह हिंदी लेख SexSamasya.com पर पढ़ रहे हैं..
पुरूषों में कामेच्छा का स्तर कम या ज्यादा होना टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पर भी निर्भर करता है।
यहां तक कि पुरूषों में उनके स्पर्म प्रोड्क्शन भी टेस्टोस्टेरोन हार्मोन से संबंधित होता है।
जानकारी के लिए बता दें कि टेस्टोस्टेरोन हार्मोन व्यक्ति की बॉडी में शक्ति।
हड्डियों की ग्रोथ और चेहरे पर बाल उगने जैसी स्थिति के लिए जिम्मेदार होता है।
जहां तक मर्दो में टेस्टोस्टेरोन प्रोड्क्शन में कमी आने की बात है।
यह 10 से 30 तक की अवस्था में होता है।
चलिए इसे थोड़ा और खुलकर जानने प्रयास करते है..
टेस्टोस्टेरोन क्या है? | What is testosterone?
कामेच्छा और यौन संबंध से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं।
जो लगभग हर पुरूष के दिमाग में तूफान मचाते रहते हैं।
ऐसा ही एक सवाल है पुरूषों के शरीर में पैदा होने वाला सेक्स हार्मोन कौन-सा है?
नाम क्या है इस हार्मोन का? अगर कोई हार्मोन है तो इसके काम करने का प्रोसेस क्या है?
कई लोग सोचते हैं कि ज्यादा बॉडी रिलेशन बनाने से कामेच्छा कम होने लगती है।
सही तरीक से जोश व उत्तेजना नहीं आ पाती।
तो सुनिए, पुरूषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन सेक्स हार्मोन बनता है।
इसका सीधा जुड़ाव सेक्सुअल ग्रोथ से होता है।
इसका प्रोड्क्शन, टेस्टिकल्स में होता है।
चलिए समझते हैं कि टेस्टोस्टेरोन के फायदे और महत्व क्या हैं?
टेस्टोस्टेरोन के फायदे और महत्त्व | Testosterone’s benefits or importance
इस हार्मोन के कई खास फायदे और महत्व हैं।
जोकि शरीर के कई विशेष शारीरिक, मानसिक और यौन कार्यों से जुड़े हैं।
यह हार्मोन पुरुषों और महिलाओं दोनों में मौजूद होता है।
हालांकि पुरुषों में इसका स्तर अधिक होता है।
आइए इसके फायदे और महत्व को विस्तार से समझते हैं।
यौन विकास और प्रजनन क्षमता
टेस्टोस्टेरोन का सबसे प्रमुख कार्य पुरुषों में यौन विकास और प्रजनन क्षमता को नियंत्रित करना है।
यह युवावस्था में यौन अंगों के विकास को बढ़ावा देता है।
जैसे कि लिंग और अंडकोष का विकास।
साथ ही यह पुरुषों में स्पर्म प्रोड्क्शन को कंट्रोल करता है।
जिससे प्रजनन क्षमता सुनिश्चित होती है।
मांसपेशियों की वृद्धि और ताकत
यह हार्मोन बॉडी में मांसपेशियों के निर्माण और मजबूती में सहायक होता है।
यह प्रोटीन के निर्माण को बढ़ावा देता है।
जिससे मांसपेशियों की वृद्धि होती है।
एथलीट और बॉडी-बिल्डर इस हार्मोन के फायदों को अच्छी तरह से समझते हैं।
क्योंकि यह पॉवर और स्टेमिना को बढ़ाने में मदद करता है।
हड्डियों की मजबूती
टेस्टोस्टेरोन हड्डियों के घनत्व (बोन डेंसिटी) को बनाए रखने में विशेष भूमिका निभाता है।
उम्र के साथ टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटने पर हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इसका पर्याप्त स्तर हड्डियों को मजबूत बनाए रखता है और फ्रैक्चर के जोखिम को कम करता है।
यौन इच्छा और प्रदर्शन
यह विशेष हार्मोन यौन इच्छा (लिबिडो) को बढ़ाता है।
पुरुषों और महिलाओं दोनों में सेक्सुअल एक्टिविटी और परफोर्मेंस को प्रभावित करता है।
इस हार्मोन का लेवल जितना नॉर्मल रहेगा। उतनी ही बढ़िया कामेच्छा और ऑर्गेज्म होगा।
इसका निम्न स्तर यौन समस्याओं, जैसे कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन और यौन रुचि में कमी का कारण बन सकता है।
मूड और मानसिक स्वास्थ्य
टेस्टोस्टेरोन मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यह सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है।
जब इसका स्तर सामान्य होता है, तो व्यक्ति अधिक ऊर्जावान और आत्मविश्वासी महसूस करता है।
टेस्टोस्टेरोन का निम्न स्तर चिंता और थकान जैसी मानसिक समस्याओं से जुड़ा हुआ है।
बॉडी पॉवर और स्टेमिना
टेस्टोस्टेरोन बॉडी पॉवर को बनाए रखने में मदद करता है।
बॉडी स्टेमिना को बढ़ाता है। इसका स्तर घटने पर थकान और शारीरिक कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
जबकि इसका हाई लेवल बॉडी की कुल एनर्जी को बढ़ाता है। व्यक्ति को एक्टिव बनाए रखता है।
वसा का वितरण और वजन नियंत्रण
शरीर में वसा के बेहतर मात्रा में भी यह हार्मोन सहायक होता है।
यह विशेष रूप से पेट के आसपास के फैट को नियंत्रित करता है।
टेस्टोस्टेरोन का पर्याप्त स्तर मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है।
जिससे वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
इसका निम्न स्तर मोटापा और एक्स्ट्रा फैट के जमा होने का कारण बन सकता है।
हार्ट और ब्लड सर्कुलेशन हेल्थ
टेस्टोस्टेरोन दिल और रक्त परिसंचरण प्रणाली को भी प्रभावित करता है।
यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ाता है।
जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है और हृदय स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
इसके पर्याप्त स्तर से दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है।
जबकि इसका कम स्तर हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
बालों का विकास
बालों के विकास को नियंत्रित करता है।
विशेष रूप से चेहरे और शरीर के बालों को।
यौवन के दौरान यह पुरुषों के चेहरे और शरीर पर बालों के विकास को बढ़ाता है।
हालांकि, उम्र बढ़ने और टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटने के कारण पुरुषों में गंजापन हो सकता है।
कम टेस्टोस्टेरोन लेवल और ज्यादा टेस्टोस्टेरोन होने से पुरूषों की हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है?
लो टेस्टोस्टोरोन और हाई टेस्टोस्टेरोन का पुरूषा के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
इसलिए प्रकृति ने संतुलन बनाये रखने की हम सब मानव को सीख दी है।
हर चीज में संतुलन जरूरी होता है।
आइए पहले जानते हैं लो टेस्टोस्टेरोन से पुरूषों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में।
लो टेस्टोस्टोरोन के प्रभाव
- यौन इच्छा में कमी हो सकती है अगर पुरूष में टेस्टोस्टेरोन की कमी हो जाये तो। इतना नहीं कुछ पुरूषों में लिंग में तनाव की कमी भी हो सकती है। जिसे मेडिकल साइंर्ंस में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की प्रॉब्लम भी कहते हैं। कुछ समय से अगर आप ऐसा महसूस कर रहे हैं कि आप अपनी पार्टनर से दूरी बनाने लगे हैं। उनके संबंध बनाने के विनय को ठुकराने के बहाने बनाने लगे हैं। तब ऐसी स्थिति में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- इस हार्मोन की कमी के कारण कुछ पुरूषों की मैन्टल हेथ पर असर पड़ने लगता है। उनकी मानसिक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है। कोई भी काम को करने में पूरा ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई आने लगती है। मैमोरी कमजोर महसूस होने लगती है। सारा दिन चिंता, बेचैनी व डिप्रेषन जैसी हालत बनी रहती है। इसलिए आपको चाहिए कि आप अपनी हेल्थ पूरा ध्यान दें। एक्सरसाइज, योग या मेडिटेशन करें। पर्याप्त नींद लें और बैलेंस्ड डाइट को डेनीरूटीन में शामिल करें।
- टेस्टोस्टेरोन कम होने से व्यक्ति जल्दी थकने लगता है। एक्सरसाइज के दौरान बहुत जल्दी थकावट महसूस होने लगती है। हल्के काम भी बहुत भारे और थकाने वाले लगने लगते हैं। मांसपेशियाँ दुखने लगती हैं। शरीर में मांसपेशियों के निर्माण में भी समस्या आने लगती है। तभी तो टेस्टोस्टेरोन कम होने से बॉडी में मसल्स कमजोर होने लगते हैं।
- हड्डियों की दिक्कतें भी इस हार्मोन की कमी के कारण हो सकती हैं। इसके अलावा शरीर के कई हिस्सों में बाल कम होना। अनिंद्रा, मूड स्विंग्स, घबराहट और एक्स्ट्रा वेट बढ़ने की परेशानी पेश आ सकती है।
पुरुषों में हाई टेस्टोस्टेरोन हार्मोन से हो सकती हैं ये प्रॉब्लम्स
बॉडी में टेस्टोस्टेरोन का लेवल ज्यादा होने से भी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
आइए जानते हैं इन प्रॉब्लम्स के बारे में।
आक्रामक और हिंसक व्यवहार
अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन का स्तर मानसिक और भावनात्मक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
इससे व्यक्ति में आक्रामकता, गुस्सा, और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।
कई मामलों में, यह असामाजिक और हिंसक व्यवहार का कारण बन सकता है।
त्वचा की समस्याएं
उच्च टेस्टोस्टेरोन का स्तर त्वचा पर तेल उत्पादन को बढ़ाता है,
जिससे मुंहासे (एक्ने) और त्वचा की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
अत्यधिक तेलीय त्वचा और मुंहासों का बढ़ना किशोरों और युवाओं में आम है,
लेकिन अत्यधिक हार्मोनल बदलाव से यह वयस्कों में भी देखा जा सकता है।
अनुचित बालों का विकास
अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन के कारण शरीर और चेहरे पर बालों का अत्यधिक विकास हो सकता है।
हालांकि, यह गंजापन (माले पैटर्न बाल्डनेस) का भी कारण बन सकता है,
क्योंकि अधिक टेस्टोस्टेरोन से बालों के रोम (हेयर फॉलिकल्स) कमजोर हो जाते हैं।
हृदय संबंधी समस्याएं
अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन हृदय पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इससे रक्तचाप बढ़ सकता है और कोलेस्ट्रॉल का असंतुलन हो सकता है,
जिससे दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
लंबे समय तक उच्च टेस्टोस्टेरोन का स्तर रखने से हृदय संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
नींद संबंधी विकार
उच्च टेस्टोस्टेरोन नींद के पैटर्न को भी प्रभावित कर सकता है।
इससे स्लीप एप्निया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें व्यक्ति की सांस बार-बार रुकती है,
जिससे नींद की गुणवत्ता खराब होती है।
इसका सीधा असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
गाइनोकोमास्टिया (स्तनों का विकास)
टेस्टोस्टेरोन का स्तर बहुत अधिक होने पर शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है,
जिससे एस्ट्रोजन (महिला हार्मोन) का उत्पादन भी बढ़ सकता है।
इसके परिणामस्वरूप, पुरुषों में स्तनों का असामान्य विकास हो सकता है, जिसे गाइनोकोमास्टिया कहा जाता है।
स्पर्म प्रोड्क्शन में कमी
हाई टेस्टोस्टेरोन लेवल बॉडी में स्पर्म प्रोड्क्शन को कम कर सकता है।
जिससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इससे बांझपन का खतरा भी बढ़ सकता है।
यह भी पढ़ें – इन 5 उपायों से बढ़ायें स्पर्म काउंट
अन्य हार्मोनल असंतुलन
टेस्टोस्टेरोन का अत्यधिक स्तर शरीर में अन्य हार्मोनों के संतुलन को बिगाड़ सकता है।
इससे थायरॉइड, कोर्टिसोल, और इंसुलिन जैसे हार्मोन्स की एक्टिविटी पर नेगेटिव इफेट पड़ सकता है।
जो अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।